भारत-अमेरिका व्यापार समझौता: क्या बन पाएगी “बड़ी डील”?

भारत-अमेरिका व्यापार समझौता: क्या बन पाएगी “बड़ी डील”?

ट्रंप बोले – अब भारत की बारी है!
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में बयान दिया कि अमेरिका अब भारत के साथ एक “बहुत बड़ा व्यापार समझौता” करना चाहता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका हर देश के साथ समझौता नहीं करेगा — कुछ देशों को सिर्फ 25%, 35% या 45% तक टैक्स देना होगा, लेकिन भारत के साथ बातचीत की संभावनाएं “अविश्वसनीय रूप से वास्तविक” हैं।

यह बयान ऐसे समय पर आया है जब अमेरिका ने चीन के साथ पहले ही एक महत्वपूर्ण व्यापार समझौता किया है और अब भारत के साथ वार्ता निर्णायक मोड़ पर है।

भारत-अमेरिका व्यापार संबंध: एक संक्षिप्त इतिहास
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्ते लंबे समय से मौजूद हैं।

हालांकि, कृषि उत्पादों, बौद्धिक संपदा और शुल्कों को लेकर मतभेद हमेशा बने रहे।

1990 के दशक में भारत के आर्थिक उदारीकरण के बाद यह साझेदारी तेज़ी से बढ़ी।

2005 के बाद, कई निवेश और मुक्त व्यापार समझौते चर्चा में आए।

‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति और शुल्क युद्ध
2017 में ट्रंप प्रशासन ने ‘America First’ नीति लागू की।

इसके बाद, 90 दिनों की टैरिफ छूट दी गई ताकि नए समझौते पर बातचीत हो सके।

अप्रैल 2018 में भारत समेत कई देशों पर पारस्परिक टैरिफ लगाए गए।

वर्तमान स्थिति: 9 जुलाई की डेडलाइन
भारत का व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल, राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में वाशिंगटन में मौजूद है।

कारण: यही वह तारीख है जब अमेरिका द्वारा दी गई 90 दिन की छूट समाप्त हो रही है।

उद्देश्य: 9 जुलाई से पहले समझौते को अंतिम रूप देना।

पीयूष गोयल का बयान
भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने 10 जून को कहा कि:

“प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की फरवरी 2025 की बैठक के बाद, एक संतुलित और निष्पक्ष समझौते की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं।”

भारत विशेषकर किसानों और घरेलू उद्योगों के हितों को प्राथमिकता दे रहा है।

मुख्य मुद्दे: कहां हो रही है खींचतान?

अमेरिका की मांगेंभारत की प्राथमिकताएं
कृषि और डेयरी उत्पादों पर टैक्स में छूटकपड़ा, रत्न-आभूषण, चमड़ा आदि पर रियायत
जीएमओ फसलों के लिए भारतीय बाजार खोलनाश्रम-प्रधान क्षेत्रों के निर्यात को बढ़ावा
इलेक्ट्रिक वाहन, पेट्रोरसायन पर कम शुल्कझींगा, तिलहन, अंगूर जैसे कृषि उत्पादों को बढ़ावा

भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि डेयरी और जीएमओ फसलों पर रियायत नहीं दी जाएगी।

ट्रंप की रणनीति: चयनात्मक समझौते
ट्रंप सिर्फ उन्हीं देशों के साथ समझौता करना चाहते हैं जो अमेरिका के हित में हों।

भारत को लेकर अमेरिका की नजर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका पर है।

अमेरिका ने UK, जापान और कोरिया के साथ बातचीत शुरू की है।

डिजिटल व्यापार और बौद्धिक संपदा भी होंगे शामिल

अमेरिका चाहता है कि यह समझौता सिर्फ कृषि तक सीमित न रहे, बल्कि इसमें डिजिटल व्यापार, सीमा शुल्क, बौद्धिक संपदा जैसे विषय भी शामिल हों।

भारत ने स्पष्ट किया है कि सिर्फ समतुल्य और पारदर्शी समझौता ही स्वीकार्य होगा।

क्या बनेगा “विन-विन” डील?

दोनों देशों की मंशा एक “विन-विन” समझौते की है — जहां न केवल व्यापार बढ़े बल्कि रणनीतिक साझेदारी भी गहरी हो।

यदि यह डील होती है, तो:

अमेरिका को एशियाई बाजार में स्थायी सहयोगी मिलेगा।
वैश्विक व्यापार पर बड़ा असर पड़ेगा।

भारत की वैश्विक स्थिति और मज़बूत होगी।

निष्कर्ष: 9 जुलाई है निर्णायक तारीख

अगले कुछ हफ्ते बेहद महत्वपूर्ण हैं। यदि भारत और अमेरिका के बीच यह समझौता होता है, तो यह न केवल व्यापारिक संबंधों में नया अध्याय होगा, बल्कि भविष्य की वैश्विक आर्थिक राजनीति को भी दिशा देगा।

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